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राजधानी में बैल 1 / उदय प्रकाश
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{{KKRachna
|रचनाकार=
उदयप्रकाश
|संग्रह= एक भाषा हुआ करती है /
उदय प्रकाश
}}
{{KKCatKavita}}
खड़ा है आकाश की पुलक के नीचे
एक
बूंद
बूँद
के अचानक गिरने से
देर तक सिहरती रहती है उसकी त्वचा
देखता हुआ उसे
भीगता
हूं
हूँ
मैं
देर तक ।
</poem>
अनिल जनविजय
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