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22:29, 10 जून 2010 {{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=विजय वाते
|संग्रह= गज़ल / विजय वाते
}}
<poem>
तुझ पे कुर्बान हुआ,
मन रस खान हुआ|
जाना जब नाम तेरा,
खुद अपना ज्ञान हुआ|
आकार तीरे लैब पर,
ये गीत अज़ान हुआ|
उल्लेख तेरा जिसमें,
वो शेर दीवान हुआ|
तुझको चाहा भर था,
कितना तूफान हुआ |</poem>