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मन रसखान हुआ / विजय वाते
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06:01, 11 जून 2010
<poem>
तुझ पे कुर्बान हुआ,
मन
रस खान
रसखान
हुआ
|
।
जाना जब नाम तेरा,
खुद अपना ज्ञान हुआ
|
।
आकार
आकर
तीरे लैब पर,ये गीत अज़ान हुआ
|
।
उल्लेख तेरा जिसमें,
वो शेर दीवान हुआ
|
।
तुझको चाहा भर था,
कितना तूफान हुआ
|
।
</poem>
अनिल जनविजय
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