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एक गन्ध / राधेश्याम बन्धु
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03:02, 13 जून 2010
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<Poem>
एक गन्ध
चम्पई इशारों
से लिख-लिख अनुबन्ध,
एक गन्ध
सौंप गयी सौ-सौ सौगन्ध।
चितवन की चर्चायें
महफिल में झूमती,
वादे की
गणित लिखे प्यार पर निबन्ध।
बाँहों भर स्वीकृतियाँ
गतिविधियाँ ले गयीं,
सिरहाने
बतियाते छुअनों के छन्द।
यादों के हरसिंगार
रात-रात जागते,
रातों को
बहुत खले दिन के सम्बन्ध,
चम्पई इशारों
से लिख-लिख अनुबन्ध।
</poem>
अनिल जनविजय
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