Changes

नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=विष्णु नागर |संग्रह=घर से बाहर घर / विष्णु नागर }} <…
{{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=विष्णु नागर
|संग्रह=घर से बाहर घर / विष्णु नागर
}}
<poem>
मेरे दस सिर हैं
क्‍योंकि मैं एक मुसलमान हूं
मेरे बीस हाथ हैं
क्‍योंकि मैं एक मुसलमान हूं
मैंने सीता का अपहरण किया है
क्‍योंकि मैं एक मुसलमान हूं
सोने की लंका मेरी राजधानी है
क्‍योंकि मैं एक मुसलमान हूं
मुझे खाक में मिला दिया जाएगा
क्‍योंकि मैं एक मुसलमान हूं

लेकिन मेरी तुलना रावण से करना भी ज्‍यादती है
क्‍योंकि मैं एक मुसलमान हूं

मेरी क्‍या हैसियत
कि मैं अट्टहाल कर सकूं
मेरी क्‍या हस्‍ती
कि मैं सीता का अपहरण करने की सोच भी सकूं
मैं हूं क्‍या
जो सोने की लंका में रह सकूं
मैंने ऐसा किया क्‍या जो तुलसी के राम के हाथों
मरने की कल्‍पना भी कर सकूं

क्‍योंकि मैं एक मुसलमान हूं
778
edits