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एक मंज़र / परवीन शाकिर
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02:20, 15 जून 2010
छोटा-सा इक हुजरा, फ़राज़े-मकान पर
सब्ज़े से झाँकती हुई खपरैल वाली छत
दीवारे
दीवार-ए
-चोब पर कोई मौसम की सब्ज़ बेल
उतरी हुई पहाड़ पर बरसात की वह रात
कमरे में लालटेन की हल्की-सी रौशनी
अनिल जनविजय
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