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हाइकु / कमलेश भट्ट 'कमल'
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04:15, 18 जून 2010
पीने लगा
हैं
है
धरती का भी पानी
प्यासा सूरज।
निकली नहीं
कन्जूस
कंजूस
बादलों से
एक भी बूँद ।
डा० जगदीश व्योम
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