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सपने जैसा लगता है / विजय वाते
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04:21, 19 जून 2010
|रचनाकार=विजय वाते
|संग्रह= दो मिसरे / विजय वाते
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वो तो सुबह से सपने जैसा लगता है| <br>
द्विजेन्द्र द्विज
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