गृह
बेतरतीब
ध्यानसूची
सेटिंग्स
लॉग इन करें
कविता कोश के बारे में
अस्वीकरण
Changes
धरती की घटती तितिक्षा / मनोज श्रीवास्तव
139 bytes added
,
05:47, 24 जून 2010
{{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार= मनोज श्रीवास्तव
|संग्रह=
}}
{{KKCatKavita}}
<poem>
'''धरती की घटती तितिक्षा'''
वह धीरे-धीरे खोती जा रही है
अंजुरी में बेहिसाब बरक़त थी
अंजुरी मोहताज़ नहीं थी
वह अक्षुन्ण
थी
Dr. Manoj Srivastav
635
edits