::आशा है, सुमित जी, कि मैं आपको बता पाया कि "रो" तो कोई भी नहीं रहा है :-) कोई डिज़ाइनर मदद कर सके तो ठीक है नहीं तो कविता कोश तो बिना डिज़ाइनर के भी लोकप्रिय है और बढ़ रहा है। सादर '''--[[सदस्य:Lalit Kumar|Lalit Kumar]] ०९:१३, ६ जनवरी २००८ (UTC)'''
==रोना शब्द के लिए माफी। और एक बात पूछनी थी। ==
मेरे पास मुक्तिबोध की किताब "चाँद का मुँह टेढ़ा है" पड़ी है। क्या इसे कविता कोश पर चढ़ाने की इज़ाज़त है?
क्या आप मुझे यकीन दिला सकते हैं कि जो पूरे के पूरे काव्य संग्रह साइट पर मौजूद हैं वो कवियों की मर्ज़ी से
यहाँ पर हैं?