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काम नहीं चल सकता / रमेश कौशिक
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16:40, 25 जून 2010
जो तुमको अच्छा लगता है
तुमने वही समझना चाहा
चाहे वह
अस्तित्वविहीन हो
लेकिन उसको कब समझोगे
जो यथार्थ है
लेकिन रुचिकर तुम्हे न लगता.
यह दुनिया है
यहाँ तुम्हारे अच्छा लगने से तो
काम नहीं चल सकता.
</poem>
Kaushik mukesh
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