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जो तुमको अच्छा लगता है
तुमने वही समझना चाहा
चाहे वहअस्तित्वविहीन होलेकिन उसको कब समझोगे जो यथार्थ है लेकिन रुचिकर तुम्हे न लगता.  यह दुनिया हैयहाँ तुम्हारे अच्छा लगने से तो काम नहीं चल सकता.</poem>
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