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|रचनाकार=प्रदीप जिलवाने
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अपनी व्याधि को चुनौती मान
जीवन से संघर्षरत
इन ईश्‍वरछलितों की अपनी एक दुनिया है।

हालाँकि है वह हमारी ही दुनिया में
बस हमें खबर नहीं है
या हम देखना ही नहीं चाहते
अपनी दुनिया से बाहर निकलकर
इसलिए हमें खबर नहीं हो पाती

खबर इसलिए भी नहीं हो पाती
क्योंकि इन बच्चों की दुनिया में शोर नहीं है
बस इसलिए हमें खबर नहीं है
इनकी दुनिया पर एतराज नहीं है
शोर होता तो हमें एतराज होता
हमारी मशक्कत बढ़ जाती
इनकी दुनिया को अपनी दुनिया से
बेदखल करने की

लेकिन कभी सोचा है आपने
बगैर शोर के कैसी होगी इनकी दुनिया
कितनी नीरस और अलोनी
हमें खबर नहीं है
हम तो अपनी दुनिया के शोर में डूबे हैं

एक छोटी-सी इच्छा जन्मी है यहाँ आकर
दुनिया भर के तमाम शोर में से
चुपके से निकालकर
इन बच्चों की दुनिया में डाल दूँ
थोड़ा-सा शोर।
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