696 bytes added,
23:29, 30 जून 2010 <poem>कोई आदमी अगर
पत्थर पर फेंकता है पत्थर
पत्थर पलटकर नहीं मारता पत्थर
पत्थर जानता हैं
पत्थर से देव होने का इतिहास
मालीपन्ने-सिन्दूर
मनौतियाँ-चुनौतियाँ
पूरी होती कामनाएँ
श्रद्धा का उमड़ता सैलाब
चरणों में शीश झुका
नमन करने वाले किसी भी आदमी को
भूला नहीं है पत्थर !</poem>
Delete, Mover, Reupload, Uploader