गृह
बेतरतीब
ध्यानसूची
सेटिंग्स
लॉग इन करें
कविता कोश के बारे में
अस्वीकरण
Changes
झूँपे में/ ओम पुरोहित ‘कागद’
381 bytes added
,
21:47, 2 जुलाई 2010
नया पृष्ठ: <poem>अब नहीं बचे हाड़ों पर चर्बी और चाम हाडारोड़ी से लौटा है हड़खोरा…
<poem>अब नहीं बचे
हाड़ों पर चर्बी और चाम
हाडारोड़ी से लौटा है
हड़खोरा कुत्ता
जीभ लपलपाता
ढूंढ़ने गांव के किसी झूंपे में
कहीं अटकी
कोई बूढ़ी सांस ।
</poem>
Neeraj Daiya
Delete, Mover, Reupload, Uploader
5,484
edits