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दर्द की व्याकरण / तारादत्त निर्विरोध
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03:59, 3 जुलाई 2010
क्या पढें दर्द की व्याकरण, <br>
ज़िं
दगी
ज़िंदगी
है कटा अवतरण । <br><br>
रूप का, आयु का, साँस का, <br>
आज होता न एकीकरण । <br><br>
द्विजेन्द्र द्विज
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