686 bytes added,
11:27, 3 जुलाई 2010 {{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=दिनेश कुमार शुक्ल
|संग्रह=ललमुनियॉं की दुनिया
}}
{{KKCatKavita}}
<poem>
बहू-बेटे, बेटियों के सामने
जब बहुत बरसों बाद
माँ फिर दिनों से हो जाय
लाज-सील-सनेह-सहज-सुभाय
किसे क्या बतलाय
डिम्बिडम्बित कायकृश, कुलकेलिकलरवक्लान्त
कातर कुमुदिनी का पुनर्उन्मीलन...
</poem>