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14:30, 4 जुलाई 2010 {{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=गोबिन्द प्रसाद
|संग्रह=मैं नहीं था लिखते समय / गोबिन्द प्रसाद
}}
{{KKCatKavita}}
<poem>
मैंने देखा:
एक चट्टान दूसरे पर
इस तरह ठहरी है
कि निचली चट्टान के नीचे
किनारे पर
जो छोटी-सी पथरीली कंकड़ी है
अगर यह हट जाए तो
तो यह अदना-सी कंकड़ी
मेरे मुहल्ले का अमरू है
<poem>