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अमरू / गोबिन्द प्रसाद

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<poem>

मैंने देखा:
एक चट्टान दूसरे पर
इस तरह ठहरी है
कि निचली चट्टान के नीचे
किनारे पर
जो छोटी-सी पथरीली कंकड़ी है
अगर यह हट जाए तो


तो यह अदना-सी कंकड़ी
मेरे मुहल्ले का अमरू है
<poem>
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