1,144 bytes added,
14:32, 4 जुलाई 2010 {{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=गोबिन्द प्रसाद
|संग्रह=मैं नहीं था लिखते समय / गोबिन्द प्रसाद
}}
{{KKCatKavita}}
<poem>
हिंसा की कई शक्लें हैं
जिनमें से एक बहुत लोकप्रिय शक्ल है :
गाँधी जी की वह तस्वीर
जिसमें वह लाठी लिए चल रहे हैं बेधड़क
क्या लाठी लेकर चलने से छोटी पड़ जाती है सड़क
लाठी का यह कौन सा संस्करण है
जो किसान-मज़दूरों के बजाय राजनेता के काम आता है
लाठी का यह कौन सा संस्करण है
आजकल नेता जिसके शरण हैं
अहिंसा का यह कौन सा पाठ है
जो लाठी के बिना पूरा नहीं होता
<poem>