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{{KKRachna
|रचनाकार= मनोज श्रीवास्तव
|संग्रह=
}}
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''' सुरक्षा कवच '''

आँख मूँद लेने भर से
तुम्हारी ओर बढ़ रही गोली
अपना इरादा नहीं बदल देगी
या, निहत्थे की जान नहीं बख्श देगी.