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11:20, 5 जुलाई 2010 {{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार= मनोज श्रीवास्तव
|संग्रह=
}}
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<poem>
''' अच्छी कविताओं का हश्र '''
वह अच्छी कवितायेँ लिखता था
क्योंकि
वह सार्वजनिक स्थानों पर
कास्मेटिक वस्तुओं की
विज्ञापन करने वाली
माडल युवतियों से
घिरा रहता था.