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|रचनाकार=वीरेन डंगवाल
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<poem>

गंगा के जल में ही बनती है
हरसिल इलाके की कच्‍ची शराब

घुमन्‍तू भोटियों ने खोल दिए हैं कस्‍बे में खोखे
जिनमें वे बेचते हैं
दालें-सुई-धागा-प्‍याज-छतरियां-पालिथीन
वगैरह
निर्विकार चालाकी के साथ ऊन कातते हुए

दिल्‍ली का तस्‍कर घूम रहा है
इलाके में अपनी लम्‍बी गाड़ी पर
साथ बैठाले एक ग्रामकन्‍या और उसके शराबी बाप को
इधर फोकट में मिल जाए अंग्रेजी का अद्धा
तो उस अभागे पूर्व सैनिक को
और क्‍या चाहिए !
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