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तरंग / त्रिलोचन
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15:41, 12 जुलाई 2010
<poem>
आवाज़ें फिर उठीं
फिर से आकाश में
तरगों
तरंगों
ने
कितने ही वृत्त रचे
</poem>
अनिल जनविजय
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