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जुलूस का जलसा / त्रिलोचन

1 byte removed, 12:55, 13 जुलाई 2010
लानत है, लानत, विराग को राग सुहाए,
साधू हो कर मांस मनुज का भर मुँह भरमुँह खाए ।
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