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कवियों से कह दो / मनोज श्रीवास्तव
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08:12, 16 जुलाई 2010
दूभर हो गया है
इस तरल दौर में
कवियों से कह दो
कि वे चाट-मसाले
की गुमटियां लगा लें
नाटककारों से
कहा
कह
दो
कि वे कोई और धंधा कर लें
यानी, पान-मसाला बेचें
Dr. Manoj Srivastav
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