गृह
बेतरतीब
ध्यानसूची
सेटिंग्स
लॉग इन करें
कविता कोश के बारे में
अस्वीकरण
Changes
संकल्प / चंद्र रेखा ढडवाल
No change in size
,
01:28, 17 जुलाई 2010
बह गए बूँद-बूँद
भिगो गए जो जगह
उस पर
पाय्दान
पायदान
खिसका दिया गया
***
लड़की होने के दिन से ही
विद्युत की चकाचौंध समान नहीं
गहराते जाते अँधेरे में
सूरज की तरह
/
जन्मते-मरते
जलते तपते
जो रोशनी हो जाता है.
</poem>
द्विजेन्द्र द्विज
Mover, Uploader
4,005
edits