Changes

नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=मुकेश मानस |संग्रह= }} {{KKCatKavita}} <poem> कौंन आता है यहाँ क…
{{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=मुकेश मानस
|संग्रह=
}}
{{KKCatKavita}}
<poem>
कौंन आता है यहाँ
कोई नहीं आता है
शाम की प्रतीक्षा में
दिन बीत जाता है

थकी हुई आती है शाम
बेचैंनी बढ़ जाती है
और किसी ख़ंज़र सी
दिल को चीर जाती है

रात भर मैं जागता हूँ
रात भर मैं सोचता हूँ
अपने सवालों के जवाब
रात भर मैं ढूँढता हूँ

दूर-दूर तक तन्हाई है
दूर-दूर तक सन्नाटा
मैं हूँ तन्हा और अकेला
और अन्धेरा गहराता

सूखा रेगिस्तान हूँ जैसे
या हूँ धरती बंजर
या बहते पानी में जैसे
कोई ठहरा पत्थर

बाहर-भीतर रीता हूँ
चुप-चुप आँसू पीता हूँ
कोई नहीं है जिसे कहूँ मैं
मरता हूँ ना जीता हूँ
1995

<poem>
681
edits