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12:25, 19 जुलाई 2010 {{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=रमेश कौशिक
|संग्रह=कहाँ हैं वे शब्द / रमेश कौशिक
}}
<poem>
शब्द मेरे
हो गए नि:शब्द
ठीक मेरी ही तरह जब तुम्हारे पास आए |
किन्तु फिर भी
नि:शब्द होकर शब्द ने
सब कह दिया
जो अनकहा था |
</poem>