* [[ऐसे हैं सुख सपन हमारे/ नरेन्द्र शर्मा]]
* [[ज्योति पर्व : ज्योति वंदना / नरेन्द्र शर्मा]]
* [[लौ लगाती गीत गाती,/ नरेन्द्र शर्मा]]* [[फटा ट्वीड का नया कोट / नरेन्द्र शर्मा]]
मधु के दिन मेरे गये बीत ! ( २ )
ज्योति चरण धर कर दीवाली,
घर आँगन नित आये"
रचना : पँ.नरेद्र शर्मा लौ लगाती गीत गाती, दीप हूँ मैँ, प्रीत बातीनयनोँ की कामना,प्राणोँ की भावना.पूजा की ज्योति बन कर,चरणोँ मेँ मुस्कुरातीआशा की पाँखुरी, श्वासोँ की बाँसुरी ,थाली ह्र्दय की ले,नित आरती सजातीकुमकुम प्रसाद है,प्रभू धन्यवाद है हर घर में हर सुहागन, मँगल रहे मनाती२०:३९, ५ मई २००८ (UTC)२०:३९, ५ मई २००८ (UTC)२०:३९, ५ मई २००८ (UTC)२०:३९, ५ मई २००८ (UTC)~तुम्हेँ याद है क्या उस दिन कीनए कोट के बटन होल मेँ,हँसकर प्रिये, लगा दी थी जब वह गुलाब की लाल कली ? फिर कुछ शरमा कर, साहस कर,बोली थीँ तुम, " इसको योँ हीखेल समझ कर फेँक न देना,है यह प्रेम --भेँट पहली ! " कुसुम कली वह कब की सूखी,फटा ट्वीड का नया कोट भी,किन्तु बसी है सुरभि ह्रदय मेँ,जो उस कलिका से निकली ! '''( फरवरी १९३७, रचना प्रवासी के गीत काव्य सँग्रह से : नरेन्द्र शर्मा )'''