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14:53, 22 जुलाई 2010 {{KKRachna
|रचनाकार=गुलज़ार
|संग्रह = पुखराज / गुलज़ार
}}
<poem>
आओ तुमको उठा लूँ कंधों पर
तुम उचककर शारीर होठों से चूम लेना
चूम लेना ये चाँद का माथा
आज की रात देखा ना तुमने
कैसे झुक-झुकके कोहनियों के बल
चाँद इतना करीब आया है
</poem>