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14:18, 7 अगस्त 2010 {{KKRachna
|रचनाकार=अशोक लव
|संग्रह =लड़कियाँ छूना चाहती हैं आसमान / अशोक लव
}}
{{KKCatKavita}}
<poem>
लहरों को सौंप दिया है कामना दीप
जहाँ चाहे ले जाएँ
उन्ही पर आश्रित हैं अब तो
कामना दीप का अस्तित्व
हथेलियों में रख कर सौंपा था
लहरों को कामना दीप
बहाकर ले जाने के लिए अपने संग
मंद मंद हिचकोले खाता
बढ़ता जाता है लहरों के संग
कामना दीप का भविष्य होता है
लहरों के हाथ
ज़रा सा प्रवाह तेज़ होते ही
डोलने लगता है
और अंततः समां जाता है लहरों में
कामना दीप सा समा जाना चाहता हूँ
सदा सदा के लिए
तुम्हारे ह्रदय की स्नेहिल लहरों में
</poem>