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बाल काण्ड / भाग ५ / रामचरितमानस / तुलसीदास
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चौ०-एक बार जननीं अन्हवाए। करि सिंगार पलनाँ पौढ़ाए ॥
<br>निज कुल इष्टदेव भगवाना। पूजा हेतु कीन्ह अस्नाना॥१॥
br>करि पूजा नैबेद्य चढ़ावा। आपु गई जहँ पाक बनावा॥
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