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|रचनाकार=शास्त्री नित्यगोपाल कटारे
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राम जाने क्यों हुआ दुःस्वप्न दर्शन
गीदड़ों के सामने हरि का समर्पण
चीरकर गहरे अनिश्चय बादलों को
प्रखर तैजस युक्त भास्कर उदित होगा
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