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14:26, 22 अगस्त 2010 {{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=मुकेश मानस
|संग्रह=काग़ज़ एक पेड़ है / मुकेश मानस
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<poem>
कुछ लोग रामलीला करते हैं
कुछ लोग रामलीला देखते हैं
कुछ लोग
ना तो रामलीला करते हैं
और ना रामलीला देखते हैं
वे रामलीला बेचते हैं
2004
<poem>