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मैं तुझसे प्रीत लगा बैठा / उदयभानु ‘हंस’
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14:46, 25 अगस्त 2010
मैं जिस पथ पर भी चल निकला, तेरे ही दर पर जा बैठा।
मैं उर की पीड़ा सह न सकूँ,
कुछ कहना चाहूँ, कह न सकूँ,
ज्वाला बनकर भी रह न सकूँ,
आँसू बनकर भी बह न सकूँ।
तू चाहे तो रोगी कह ले,
या मतवाला जोगी कह ले,
मैं तुझे याद करते-करते अपना भी होश भुला बैठा।
</poem>
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