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और एक इक इम्तिहान बाक़ी है, इसलिए मुझमें थोडी जान बाक़ी है।
सर से हर बोझ हट गया है मेरे, सिर्फ़ एक इक आसमान बाक़ी है।
मैं खतावार हूँ तेरा तिरा लेकिन, मेरे तेरे दिल का बयान बाक़ी है।
मेरे हाथों में अब लकीरें तो नहीं,
तेरे लब का निशान बाक़ी है।
मैं अगर ना न रहा मैं तो कोई ग़म कैसा, अभी अब भी तो ये जहान बाक़ी है।
ज़ख्म तो कब का के भर गया लेकिनगये संकल्प,
ज़ख्म की दास्तान बाक़ी है।
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