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12:29, 4 सितम्बर 2010 {{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=ओम पुरोहित ‘कागद’
|संग्रह=आदमी नहीं है / ओम पुरोहित ‘कागद’
}}
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<Poem>
तेरे मेरे सपने
एक से
नहीं हो सकते
क्यों कि
जिन सपनों में
मैं
तुम्हें देखता हूं
उन में
तुम मुझे
कभी नहीं देखते
अपने सपनों में
और
तुम देखते हो
जो
खुद अपने सपने
उन में
मैं नहीं
केवल तुम होते हो
फिर
क्यों हो सकते हैं
एक से
तेरे मेरे सपने?
</poem>