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10:46, 5 सितम्बर 2010 {{KKGlobal}}
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रचनाकार=सर्वत एम जमाल
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<poem>
ख्वाब नींद बिन आए
कैसे कैसे दिन आए
मस-अ-ले ही सीधे थे
हल बहुत कठिन आए
पाँव ही न छूना था
लोग मुत्म-इन आए
नौकरी में इज्ज़त थी
पापा नोट गिन आए
इक चिराग है पैसा
घिस सको तो जिन आए
दूर ही का सच अच्छा
पास हो तो घिन आए<poem/>