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11:46, 6 सितम्बर 2010 {{KKGlobal}}
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|रचनाकार=नईम
|संग्रह=पहला दिन मेरे आषाढ़ का
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<poem>
नन्हा-मुन्ना बसंत मेले में छूट गया
शिशु के मनचीता
अलगोझा ज्यों टूट गया!
पांचाल के पलाश
कामरूप के गुड़हल,
दस्यु सुंदरी जैसी
मध्य देश की चम्बल;
संग फौज फाटे के रेले में छूट गया!
दक्षिण के रंगकर्म
हम तो कोरे प्रेक्षक,
देशमहागाथा-सा
जिसमें दसियों क्षेपक;
मंगल घट
द्वारों पर भरा हुआ फूट गया!
बल के अतिकार
और आत्महनन के अवसर,
मौसमी प्रसंगों में
जैसे नेता अफसर;
देवता बसंत
रिसाए शिशु-सा रूठ गया।