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रह गई माँ क्षीण क्षिप्रा-सी / नईम
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13:34, 6 सितम्बर 2010
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|रचनाकार=नईम
|संग्रह=पहला दिन मेरे आषाढ़ का
/ नईम
}}
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<poem>
रह गई माँ क्षीण
शिप्रा
क्षिप्रा
-सी,
मगर अब भी पिता हैं नर्मदा के घाट।
अनिल जनविजय
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