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12:07, 7 सितम्बर 2010 {{KKGlobal}}
{{KKAnooditRachna
|रचनाकार=रित्सुको कवाबाता
}}
[[Category:जापानी भाषा]]
<poem>
ज्वार पुरे जोर पर है अब ,
विचार उफनते हैं ,
गहनता से मस्तिष्क में .
बन जाते हैं लहर प्रचंड .
शब्द उमड़ते हैं
ज्वार पूरे जोर पर है अब
यही समय है सही !
'''अनुवादक: [[मंजुला सक्सेना]]'''
</poem>