{{KKCatKavita}}
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आगे बढ़ते हुए
अगर देखोगे पीछे
मुड़-मुड़कर
तो मुमकिन है
कि गिर पड़ोगे कहीं
पीछे छूट गये लोग
पीछे देखे हुए दृश्य
पीछे छूट गया समय
कभी लौटकर नहीं आते
फिर और जो लौटकर नहीं आतेउनके बारे में फिर सोचना क्या? अगले पड़ावों पर जाने क्या है?
अगम्य पर्वत श्रेणियाँ
एक तपता रेगिस्तान
शायद कोई गाता हुआ झरना
या बहती हुई कोई मस्त नदी
जो पीछे छूट गया
वो लौट कर नहीं आयेगा
धरती जितनी छूटती है पीछे
उतनी ही होती है
आगे भी
जितना रह जाता है पीछे
समय होता हैउतना ही आगे भीहम कहीं छूटते जाते हैं पीछेसमय कभी छूटता कहीं नहींछूटता
समय हमेशा साथ होता है
2006 </Poem>