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अस्वीकरण
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देखा हुआ सा कुछ / निदा फ़ाज़ली
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,
17:06, 9 सितम्बर 2010
हर वक़्त मेरे साथ है<br>
:उलझा हुआ सा कुछ<br><br>
होता है यूँ भी
,
रास्ता<br>
:खुलता नहीं कहीं<br>
जंगल-सा फैल जाता है<br>
Hemendrakumarrai
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