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07:04, 10 सितम्बर 2010 {{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=गोबिन्द प्रसाद
|संग्रह=कोई ऐसा शब्द दो / गोबिन्द प्रसाद
}}
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<poem>
सब ने सब का खाया
अपना अपना गुन गाया
कोई किसी को भाया
ना कोई पेड़
ना कोई साया
ना कोई गया ना कोई आया
कैसा दीन
कैसी दुनिया
कैसा जगत है कैसी माया!
<poem>