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07:07, 10 सितम्बर 2010 {{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=गोबिन्द प्रसाद
|संग्रह=कोई ऐसा शब्द दो / गोबिन्द प्रसाद
}}
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<poem>
पहले-पहल उन्होंने आँका
हमारे हाथों का मोल
फिर आँखों के अनछुए
सपने अन-मोल
फिर; पेट की आग को
देख गया छू कर
टटोल,टटोल
बोल,मिट्टी के माधो
अब तो बोल
<poem>