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आ के सज्जाद / मीर तक़ी 'मीर'
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01:40, 14 सितम्बर 2010
मुँह पे रख दामन-ए-गुल रोएंगे मुर्ग़ान-ए-चमन<ref>उद्यान के पक्षी </ref>
हर रविश
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ख़ाक उड़ाएगी सबा मेरे बाद
बाद मरने के मेरी क़ब्र पे आया वो 'मीर'
द्विजेन्द्र द्विज
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