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मत पूछिए क्यों / शेरजंग गर्ग
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02:56, 18 सितम्बर 2010
<poem>
मत पूछिए क्यों पाँव में रफ़्तार नहीं है
यह कारवाँ
मंज़िल का तलबगार नहीं है
जेबों में नहीं, सिर्फ गरेबान में झाँको
द्विजेन्द्र द्विज
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