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जो मेरे हाथ में माचिस की तीलियां होती/ सर्वत एम जमाल
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जो मेरे हाथ में माचिस की तीलियाँ होतीं
फिर अपने शहर में क्या इतनी झाड़ियाँ होतीं
द्विजेन्द्र द्विज
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