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आशिक़ाना मिज़ाज है मेरा / बिरजीस राशिद आरफ़ी
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16:28, 19 सितम्बर 2010
जैसा भी है समाज है मेरा
खेलता हूँ अदीब और ऐमन<ref> मेरे पोतों के नाम<
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> से
बस यही काम-काज है मेरा
मैं हमेशा रहा रहा ख़राज-गुज़ार<ref>लगान देने वाला<
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ref
>
"शुक-ए-रब" ही ख़राज है मेरा
द्विजेन्द्र द्विज
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