587 bytes added,
12:49, 24 सितम्बर 2010 {{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=पूनम तुषामड़
|संग्रह=माँ मुझे मत दो / पूनम तुषामड़
}}
{{KKCatKavita}}
<poem>
देखो हमारी
आंखों में आंखे डाल
और कहो-
कि... तुम्हारी सरकार
जनता के हितों के लिए
लड़ी है
ज़रा कहो तो
तुम्हारी कथित
जनता में मेरी ‘जात’
कहां खड़ी है।
</poem>