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खोल ना गर मुख जरा तू, सब तेरा हो जाएगा / गौतम राजरिशी
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07:18, 28 सितम्बर 2010
यूँ निगाहों ही निगाहों में न हमको छेड़ तू
भोला-भाला मन हमारा मनचला हो जाएगा
''{ग़ज़ल के बहाने, अंक 3}''
</poem>
Gautam rajrishi
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